जल संसाधन संरक्षण संवर्धन

भारत के उत्तर -पश्चिम दिशा में स्थित भारत का सबसे बड़ा राज्य राजस्थान भौगोलिक दृष्टिकोण से अत्यधिक जटिल एवं विविधतायुक्त है, जहां एक और मरुस्थलीय भू-भाग स्थित है तथा दूसरी और कुछ मैदानी और पठारी भाग एवं पर्वतीय भाग स्थित है राजस्थान का भौतिक स्वरूप भू-गर्भिक इतिहास में होने वाली आंतरिक हलचलों व जलवायु से नियंत्रित बाह्य शक्तियों द्वारा उत्पन्न होता हैl यहां पर चट्टानें आए दिन या वर्षा के समय ज्यादातर क्षेत्रों में टूटकर स्थान बदल लेती हैl इस क्षेत्र में तो पृथ्वी के ऊपरी हिस्सों में क्रिया निरंतर होती रहती है जिसके प्रभावों से चट्टानों की संरचना व संगठनों पर विसंगतियां देखी गई है राजस्थान के विभिन्न भौतिक विभागों के उच्चावच प्रारूप को देखने से पता चलता है, कि क्षेत्र में उच्च शिखर 6%, पर्वत शृंखला 31%, उच्च भूमि 51%, और मैदानी क्षेत्र 11% है इसी को देखते हुए सिरोही जिला एक अद्भुत आकृति का बना हुआ है जहां पर्वतीय भाग ,पठारी भाग तथा कुछ मैदानी भाग भी शामिल है पर्वतीय क्षेत्र होने के कारण यहां पर काफी कुछ विभिन्नताएं पाई गई है क्योंकि जल संसाधन, संरक्षण एवं संवर्धन यहां पर अनिवार्य है क्योंकि देखा जाए तो जल को सुरक्षित रखना मानव का दायित्व बनता है जल को सुरक्षित नहीं किया तो उस स्थिति में सीधे तीव्र गति से पहाड़ों पर्वतों से जो पानी नदी नालों के माध्यम से समुद्रों में चला जाता है , यदि वर्षा के पानी को छोटे-छोटे बांध बनाकर या बड़े बांध बनाकर या चेकडैम, बोरीबांध, बोल्डर बांध आदि के माध्यम से रोका जाए तो उस स्थिति में पहाड़ी क्षेत्रों पर्वतीय क्षेत्रों पर स्थित वृक्षों की अधिकता होगी क्योंकि पानी की कमी होने से कृषि क्षेत्रों में उत्पादन में भी कमी देखने को मिल रही है ,दूसरी ओर वृक्षारोपण कर वृक्षों की संख्या को बढ़ाना मानव का एक दायित्व बनता है, बिना वृक्षारोपण किये हम मानव जीवित रहना दुभर हो जाएगा क्योंकि कुछ समय पहले हमारे सामने स्पष्ट था कि कोरोना काल का समय वास्तव में हमें वृक्षों की कमी महसूस करवाने लगी थी वृक्षों की कमी नहीं होती, तो ऑक्सीजन की कमी भी कम होती यदि यही हाल रहा तो कुछ समय नई बिमारीया नया रूप लेकर इस पृथ्वी पर आएगी और मानव को बीमारियों का बोझ झेलना पड़ेगा उसके बचाव के लिए हमें शुद्ध जल, वृक्षारोपण, जलवायु परिवर्तन, आदि के बारे में ध्यान देने की आवश्यकता है और जल सीधे-सीधे समुद्रों में जा रहा है ,उसको कैसे रोका जाए, इन सब बातों को भी ध्यान में रखते हुए जल संरक्षण एवं संवर्धन पर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है, हम सब मिलकर इस विषय पर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यक है l यदि समझदार मानव इस विषय पर ध्यान नहीं दिया तो उस स्थिति में वास्तव में हमें बहुत बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ेगाl अतः स्पष्ट रूप से ज्ञात होता है, कि जल, जंगल और जमीन के बिना मानव जीवन अधूरा है l यहां हर मनुष्य के मन में आना चाहिए ,की प्रकृति द्वारा दिया हुआ है ,इसे नुकसान पहुंचाया तो यह हमें नुकसान पहुंचायेगा l 

  • प्राकृतिक वनस्पति 

               सिरोही जिले में प्राकृतिक वनस्पति के क्षेत्र में यदि देखा जाए तो रक्षित और      संरक्षित वन शासकीय वन है जो क्षेत्र के वन विभाग के अंतर्गत आते हैं जबकि इनमें रक्षित वन अच्छी तरह से सीमांकित और रक्षित वनों में रियायतें या अधिकार प्रदान नहीं किए गए हो जबकि सुरक्षित वनों में वन विभाग की अनुमति से निस्तारण कर अधिकार प्रदान किए जाते हैं अधिकांश वृक्ष सामान्यतः कटीली झाड़ियां इस प्रकार से बने वृक्ष पाए जाते हैं 

  • मिश्रित वन

मिश्रित वन अनेक प्रकार की प्रजातियां में सामान्य प्रकार के मिश्रित वनों से लेकर कटीली झाड़ियां और घास के शुष्क पत्थरों में यह मिश्रित वन पाए जाते हैं।       

  • जलवायु 

सिरोही जिले की जलवायु सुखद है यहां वर्षा ऋतु को छोड़कर सामान्य शुष्क होता है वर्षों को चार ऋतुओं में विभाजित किया गया है ग्रीष्म ऋतु मार्च से लेकर मध्य जून तक चलती है और उसके बाद वर्षा ऋतु आती है जो सितंबर के अंत तक चलती है अक्टूबर तथा नवंबर माह में रितु अलग होती है दिसंबर से लेकर फरवरी तक शीत ऋतु में रहती है।                         

  • मानसून 

के समय तथा शीत ऋतु में हवाएं समानता हल्की होती है और ग्रीष्म ऋतु में और वर्षा ऋतु में तेज हवाएं होती है वर्षा ऋतु में हवाएं अधिकांश है दक्षिणी दिशा में मानसून तथा शीत ऋतु में हवाएं मुख्यतः पश्चिम दिशा से प्रभावित होती है।         

आद्रता सिरोही जिले का वातावरण समानता शुष्क रहता है वर्षा ऋतु को छोड़कर पूरे वर्ष भर आद्रता अधिक रहती है जो एक प्रकृति प्रदत्त है।                

 मेघाच्छादन।   

वर्षा ऋतु को छोड़कर जब आकाश में बहुत सारे बादल छाए होते हैं या आकाश स्वच्छ होता है या उसमें हल्के बादल छाए होते हैं इस समय मेघाच्छादन होता है जो एक प्रकृति प्रदत्त होता है           

  • हवाएं–        

शीत ऋतु में हवाएं सामान्यतः हल्की होती है और ग्रीष्म ऋतु में हवाएं ठंडी होती है क्योंकि वर्क वर्षा ऋतु में जब हवाएं चलती है उसे एवं अन्य कर्म से वह भारी होती है और ग्रीष्म ऋतु में गर्मी या सूर्य से आने वाले किरणें पृथ्वी पर अधिक पड़ती है इस कारण हवा भी हल्की होती है उसे समय हवाएं मानसून का रूप धारण कर लेती है मानसून के समय जब हवा भरी हवा हल्की हवा की ओर प्रवाहित होती है तो तेज हवाएं चलती है

डॉ. देवेंद्र मुझाल्दा

भूगोल विभाग

माधव विश्वविद्यालय पिंडवाड़ा (सिरोही) राजस्थान

By Madhav University

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