शिक्षा किसी भी व्यक्ति के सर्वांगीण विकास का आधार होती है। यह केवल ज्ञान के अर्जन का माध्यम नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता, सामाजिक सम्मान और आत्मविश्वास का स्रोत भी है। भारत जैसे विकासशील देश में जहाँ जनसंख्या का एक बड़ा भाग दिव्यांगता से प्रभावित है, वहाँ समावेशी शिक्षा की आवश्यकता और भी अधिक हो जाती है। विशेष रूप से श्रवणबाधित बच्चों के लिए शिक्षा की गुणवत्ता और पहुँच में सुधार समय की माँग है। ऐसे परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) एक परिवर्तनकारी दस्तावेज के रूप में उभरती है, जो समावेशी और न्यायपूर्ण शिक्षा की दिशा में भारत सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
1. श्रवणबाधित बच्चों की शैक्षिक स्थिति: एक पृष्ठभूमि
भारत में लगभग 63 मिलियन लोग किसी न किसी रूप में श्रवण हानि से पीड़ित हैं, जिनमें बड़ी संख्या में बच्चे शामिल हैं (WHO, 2021)। इन बच्चों को मुख्यधारा की शिक्षा प्रणाली में शामिल करना लंबे समय से एक चुनौती रहा है। पारंपरिक शिक्षण विधियाँ, संवाद की बाधाएँ और सामाजिक कलंक, इनके समुचित विकास में अवरोध उत्पन्न करते हैं।
2. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की रूपरेखा
NEP 2020 की प्रमुख विशेषताएँ:
- समावेशी और समतामूलक शिक्षा पर ज़ोर
- प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा (Foundational Learning) की मजबूती
- विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (CwSN) के लिए अलग रणनीति
- डिजिटल साक्षरता आधारित शिक्षा प्रणाली
- शिक्षक प्रशिक्षण और जागरूकता
नीति स्पष्ट रूप से कहती है कि “हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण और न्यायसंगत शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है, चाहे वह किसी भी सामाजिक या शारीरिक स्थिति में क्यों न हो” (NEP, 2020)।
3. श्रवणबाधित बच्चों के लिए समावेशी कक्षा शिक्षा की रणनीतियाँ
3.1. भारतीय सांकेतिक भाषा (Indian Sign Language – ISL) का समावेशन
NEP 2020 ISL को मान्यता देने और स्कूलों में उसके प्रशिक्षण की व्यवस्था करने की बात करती है। ISLRTC (Indian Sign Language Research and Training Centre) द्वारा सामग्री का निर्माण एक महत्वपूर्ण कदम है।
3.2. शिक्षक प्रशिक्षण
विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण प्रदान करना NEP का मुख्य उद्देश्य है। RCI (Rehabilitation Council of India) इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
3.3. डिजिटल साक्षरता और सहायक उपकरण
सुनने में अक्षम बच्चों के लिए ऑडियो-विज़ुअल सामग्री, सबटाइटल, और संवादात्मक सॉफ्टवेयर का उपयोग बढ़ाया जा रहा है। DIKSHA और e-Pathshala जैसे प्लेटफॉर्म्स पर समावेशी सामग्री अपलोड की जा रही है।
3.4. भाषा और पाठ्यचर्या में लचीलापन
NEP 2020 शिक्षण भाषा को स्थानीय और मातृभाषा में रखने की वकालत करता है। यह श्रवणबाधित बच्चों के लिए शिक्षा को अधिक बोधगम्य बनाता है।
4. NEP 2020 के प्रभाव: संभावनाएँ और लाभ
- शिक्षा में पहुँच और समावेशन में वृद्धि
- आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन को बढ़ावा
- व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास के नए अवसर
- समाज में सकारात्मक दृष्टिकोण का विकास
NEP 2020 के माध्यम से यदि श्रवणबाधित बच्चों को समुचित संसाधन, प्रशिक्षित शिक्षक और सहायक तकनीक उपलब्ध कराई जाती है, तो वे शिक्षा के माध्यम से समाज में सम्मानजनक स्थान प्राप्त कर सकते हैं।
5. व्यावहारिक चुनौतियाँ
- प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी
- ग्रामीण क्षेत्रों में संसाधनों की अनुपलब्धता
- सामाजिक जागरूकता की कमी
- बजट और वित्तीय संसाधनों की सीमाएँ
इन चुनौतियों का समाधान नीति के प्रभावी कार्यान्वयन से ही संभव है। इसके लिए शासन, प्रशासन, शिक्षक, माता-पिता और समाज सभी को एकजुट होकर कार्य करना होगा।
6. सुझाव
- प्रत्येक स्कूल में न्यूनतम एक विशेष शिक्षक की नियुक्ति
- सभी शिक्षकों को सांकेतिक भाषा का बुनियादी प्रशिक्षण
- ISL सामग्री का स्थानीय भाषाओं में अनुवाद
- CSR और NGOs की सहभागिता द्वारा संसाधनों की उपलब्धता
- सामाजिक जागरूकता अभियानों की शुरुआत
निष्कर्ष
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 विशेष आवश्यकता वाले बच्चों, विशेषतः श्रवणबाधित छात्रों के लिए शिक्षा के क्षेत्र में एक नई दिशा और दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है। यदि इसे समर्पण और जागरूकता के साथ लागू किया जाए, तो यह न केवल इन बच्चों के लिए ज्ञान का माध्यम बनेगा, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर, सक्षम और गरिमामय जीवन जीने की ओर अग्रसर भी करेगा। यह नीति केवल शिक्षा की नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और समावेशन की भी नीति है। भारत को एक समावेशी समाज बनाने के लिए इसकी सफलता अनिवार्य है।
संदर्भ (References)
- भारत सरकार, मानव संसाधन विकास मंत्रालय। (2020)। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020। नई दिल्ली।
- NCERT। (2021)। समावेशी शिक्षा पर दिशानिर्देश। नई दिल्ली।
- ISLRTC। (2022)। भारतीय सांकेतिक भाषा और शिक्षा में इसका प्रयोग। नई दिल्ली।
- WHO। (2021)। World Report on Hearing। जिनेवा: विश्व स्वास्थ्य संगठन।
- UNESCO। (2020)। Global Education Monitoring Report। पेरिस।
- Sharma, R. (2021)। “NEP 2020 and Children with Special Needs”। Journal of Inclusive Education in India, 5(2), 45–52।
Kumar, S. & Bhatnagar, N. (2020)। “Challenges in Implementing Inclusive Education in Indian Classrooms”। International Journal of Special Education, 35(1), 20–28।
– डॉ. अवनीश कुमार मिश्र
असिस्टेंट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ स्पेशल एजुकेशन, माधव यूनिवर्सिटी