जलग्रहण क्षेत्र प्रबंधन कार्यक्रमों के पूर्व या पिछली योजनाओं की प्लानिंग व क्रियान्वयन में कमी दूर की जाना उसी के तारतम्य में सामाजिक भागीदारी का अभाव रहता है। योजनाएं सरकार पर आधारित बनती है लेकिन योजनाओं की अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आ जाते। किसी भी योजना की सफलता के लिए कुछ आवश्यक है कि इसमें सबसे पहले सामाजिक माहौल तैयार किया जाना चाहिए वातावरण तैयार किया जाना चाहिए और उसी के तारतम्य में कार्यक्रमों का आयोजन होता रहना चाहिए जिससे कि वातावरण आधारित अभियानों की सफलता में इस बात के प्रमाणिक आधार प्राप्त हो सके। सामाजिक माहौल को तैयार करने के लिए यह आवश्यक है कि वातावरण निर्माण में गतिविधियों को किस रूप में संचालित किया जाए और जलग्रहण क्षेत्र प्रबंधन कार्यक्रम के तहत परियोजना में निहित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु कुछ एरिया निर्धारित किया जाता है उसे क्षेत्र में वाटरशेड समिति उपयोगकर्ता डाल सहायता समूह कौशल उन्नयन आजीविका से संबंधित गतिविधियों के कार्यक्रम चलाए जाते रहते हैं। यह कार्यक्रम चलाने हेतु समय-समय परपरियोजना कार्यक्रम के सफल संचालन हेतु कुछ प्रशिक्षण आयोजित किए जाने चाहिए ताकि व्यक्तिगत रूप से हो समूह हो या समाज हो उनमें विकास की कुछ भावनाएं बन सके और जागरूकता संबंधित कार्यक्रमों से गांव के लोगों में कला और विकास की पहचान मिल सके। यदि कार्यक्रम के रूपरेखा तैयार की जाती है उस स्थिति में जलग्रहण विकास योजना का जो लाभ मिलता रहेगा वालों को उससे स्पष्ट हो जाता है कि वास्तव में उस समाज में काफी विकास होगा।
वातावरण निर्माण: वातावरण निर्माण के संबंध में यदि देखा जाए तो धरातलीय स्वरूप है। उसी के संबंध में वहां पर निवास करने वाले समाज पर किस तरह से पानी की कमी महसूस हो रही है या दिखाई दे रही है। उसके संबंध में समाज के हर क्षेत्र में मिट्टी व पानी की जरूरत की जागरूकता पैदा करने के लिए हमें हर संभव तट पर उपस्थित होना चाहिए।
जल ग्रहण प्रबंधन कार्यक्रम की क्रियान्वयन के लिए भिन्न-भिन्न स्तरों पर विभिन्न प्रकार की कमेटियों का गठन किया जाना चाहिए पर शिक्षकों एवं स्वयंसेवकों की भागीदारी आसानी से बनाना चाहिए। मिट्टी व पानी के सामूहिक उपयोग की जरूरत को जागरूकता लाने के लिए लाना चाहिए। ड्रॉप आउट रोकने तथा उत्साह बनाए रखने के लिए जल ग्रहणक्षेत्र योजना का विशेष लाभ दिया जाना चाहिए। एकीकृत जल ग्रहण क्षेत्र प्रबंधन विषय मिशन में जन भागीदारी की स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए जागरूकता लाना चाहिए।
वातावरण के संबंध में कार्यक्रम: किसी भी क्षेत्र में विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए मुख्य रूप से मिट्टी, पानी एवं हवा मुख्य है। इसी के संदर्भ में देखा जाए तो मुख्य रूप से संस्कृति परंपराओं के संबंध में शैक्षणिक पृष्ठभूमि सुविधाओं व्यक्तियों की उपलब्धता आदि पर निर्भर रहता है। वातावरण निर्माण के लिए निम्नांकित आयाम उपयोग में ले जाते हैं जो क्षेत्र को विशेष रूप से ध्यान में रखा जाना चाहिए। इसी से स्पष्ट होता है कि किस संदर्भ में यदि कार्यक्रम को लागू की जाए और वह सफल हो सके।
- प्रत्येक गतिविधियों के क्रियान्वयन का एक तरीका होता है जिसमें मुख्य रूप से तरीके को किस तरीके से अपनाया जाए जिससे अधिकतम प्रचार प्रसार हो सके और समाज में कार्यक्रम के प्रति जागरूकता आ सके।
- जलग्रहण क्षेत्र कार्यक्रम के अंतर्गत यह मुख्य रूप से प्रयास किया जाना चाहिए जिससे कि समाज को किस रूप से एक दूसरे से जोड़ा जा सके और उसका माहौल बन सके जल संरक्षण से के संबंध में।
- एकीकृत जल ग्रहण क्षेत्र प्रबंधन की सफलता का मुख्य उद्देश्य मानव को क्षेत्र और कार्यक्रम के बीच किस रूप में बढ़-चढ़कर भाग लेकर इस कार्यक्रम को सफल बनाया जा सके और लोगों के आर्थिक स्थिति सुधार हो सके जिससे कि ग्रामीण समुदाय जल ग्रहण प्रबंधन की सफलता के लिए दृढ़ संकल्प होकर उसके प्रति समर्पित भाव से कार्य कर सके इसके लिए संकल्प के रूप में कर कार्यक्रम बनाए गए हैं।
प्रशिक्षण के संबंध में जानकारी: जल संसाधन संरक्षण एवं संवर्धन की वृद्धि के लिए एक ग्रामीण स्तर पर समाज से संबंध रखते हुए प्रशिक्षण आयोजित किया जाना चाहिए जिससे कि कार्यक्रम की रूपरेखा के बारे में जाना जा सके। इसी के संबंध में देखा जाए तो भूमि उपयोग एवं नियोजन संबंधी कार्यक्रमों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
मृदा शरण एवं जल संवर्धन की वैज्ञानिक पद्धति से संबंधित कार्यक्रमों को लागू कर ग्राम वासियों एवं ग्रामीण जनों को समझाइए देने की आवश्यकता रहती है। कृषि में वैज्ञानिक पद्धति के महत्व को विकसित करने से संबंधित कार्यक्रमों को आयोजित किया जाना अति आवश्यक है। चारागाह विकास एवं प्रबंधन संबंधित कार्यक्रमों का आयोजन करना एक कार्यक्रम अधिकारी का दायित्व बनता है। ग्रामीणों की आजीविका में समानता लाने संबंधी गतिविधियों एवं कार्यक्रमों का संचालन करना सभी मानव धर्म के लिए अनिवार्य माना जाता है। वनीकरण को बढ़ावा देने के लिए संबंधित क्षेत्र के संबंधित कार्यक्रमों को विकास एवं विकसित धारा में जोड़ने के लिए प्रशिक्षण देने की आवश्यकता रहती है। ग्रामीण हस्तकला एवं कौशल उन्नयन संबंधी कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना मानव समाज के लिए महत्वपूर्ण है ग्रामीण मूलक गतिविधियों से संबंधित प्रशिक्षण एवं कार्यक्रमों का आयोजन एवं विकास को मुख्य रूप से जोड़ा जाना चाहिए।
जल ग्रहण क्षेत्र प्रबंधन कार्यक्रम में किए जाने वाले प्रमुख गतिविधियों को निम्न तरीके से वर्गीकृत किया जा सकता है। पहले भूमि कटाव की रोकथाम या नियंत्रण दूसरा जमीन में नमी की मात्रा को बढ़ाया जा सके ताकि उत्पादन एवं अन्य कर्म से नमी बनी रहे जमीन के ऊपर पानी का विस्तार कार्यों के लिए एक कार्यक्रम को आयोजित किया जाना चाहिए जिससे उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी हो सके। जमीन के नीचे भोजन की मात्रा को बढ़ाने के लिए सबसे पहले जल संग्रहण की आवश्यकता रहती है वह मुख्य रूप से होना चाहिए।
उपरोक्त सभी उपचारों एवं गतिविधियों को उद्देश्य के आधार पर मिट्टी और पानी का संरक्षण किया जाना चाहिए। इस संरक्षण को हासिल किए बिना वाटरशेड विकास की आशा करना व्यर्थ होगा।
संक्षेप में हम कह सकते हैं कि किसी भी योजना को लागू करने के लिए सबसे पहले मानव समाज को भी आगे रहना पड़ेगा। यदि मानव समाज उसे मुख्य धारा से नहीं जुड़ता है उस स्थिति में किसी भी कार्यक्रम का सफल होना संभव नहीं है।
– Dr. Devendra Muzalda, Professor and Head
Department of Geography, Madhav University